समकालीन विमर्श के विभिन्न आयाम

Authors

  • श्वेता Sweta दीप्ति Diptee Central Department of Hindi, TU, Kirtipur, Kathmandu हिन्दी केन्द्रीय विभाग, कीर्तिपुर, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमान्डू

DOI:

https://doi.org/10.3126/pdmdj.v5i1.52535

Keywords:

किसान विमश, स्त्री विमर्श, सार्वभौम भगिनीवाद, दलित विमर्श, वृद्ध विमर्श, आदिवासी विमर्श, बाल विमर्श किन्नर विमर्श

Abstract

यह सदी विमर्शों की सदी है । यानि समाज की किसी भी समस्या पर चर्चा–परिचर्चा, संवाद, तर्क–वितर्क आदि । दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जब व्यक्ति किसी समूह में किसी विषय पर चिन्तन अथचा चर्चा–परिचर्चा करता है तो उसे विमर्श कहा जाता है या जब कोई व्यक्ति किसी विषय को लेकर अकेले में गहन, चिन्तन, मनन करके किसी समूह में जाकर उस विषय पर अन्य व्यक्तियों से तर्क–वितर्क करता है तो उसे विमर्श कहते हैं ।संस्कृत, हिन्दी तथा अंग्रेजी शब्दकोशों में बहुत से विद्वानों द्वारा विमर्श शब्द को परिभाषित किया गया है । डॉ भोलानाथ के अनुसार विमर्श का अर्थ है–‘‘तबादला–ए–खयाल, परामर्श, मशविरा, राय–बात, विचार विनिमय, विचार विमर्श, सोच विचार।’’ ज्ञान शब्दकोश में विमर्श का तात्पर्य ‘विचार, विवेचन, परीक्षण, समीक्षा, तर्क, ज्ञान।’ आदि के रूप में अंकित किया गया है । मानक हिन्दी कोश में विमर्श का अर्थ इस प्रकार है –‘सोच विचार कर तथ्य या वास्तविकता का पता लगाना । किसी बात या विषय पर कुछ सोचना समझना । विचार करना । गुण–दोष आदि की आलोचना या मीमांसा करना (डेलिबरेशन)। जाँचना और परखना । किसी से परामर्श या सलाह करना आदि ।आज समाज का हर वह तबका जो अधिकारों से वंचित है उसने अपने हक, अधिकार और अपनी अस्मितागत पहचान के लिए निर्णायक लड़ाई छेड़ रखी है । ध्यान देने की बात यह है कि यह लड़ाई किसी के विरूद्ध नही, बल्कि अपने या अपने समुदाय के पक्ष में लड़ी जा रही है । इन लड़ाइयों के पीछे एक सुविचारित दर्शन कार्य कर रहा है । हिंदी साहित्य में समाज के ज्वलंत विषयों को कहानी, कविता, उपन्यास, आत्मकथा और अन्य विधाओं के माध्यम से समाज का ध्यान अपनी ओर खींचा जा रहा है । शोषित समाज के हक के लिए लेखन कार्य किया जा रहा है । विमर्श साहित्य वर्तमान समय में लगभग सभी विश्वविद्यालयों के हिंदी या अन्य भाषाओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा है । प्रस्तुत आलेख में साहित्यिक विमर्श के आयामों पर चर्चा की गई है ।

Downloads

Download data is not yet available.
Abstract
345
PDF
751

Downloads

Published

2023-02-15

How to Cite

दीप्ति Diptee श. S. (2023). समकालीन विमर्श के विभिन्न आयाम . Pragya Darshan प्रज्ञा दर्शन, 5(1), 15–18. https://doi.org/10.3126/pdmdj.v5i1.52535

Issue

Section

Articles