प्रेमचन्द के उपन्यासों में स्त्री विमर्श: एक अध्ययन Premchand ke Upanyason me stri Bibamarsh: Ek Adhyayan Chan

Authors

  • मौसमी Mausami सिंह Singh तिवारी Tiwari Department of Hindi, TU, Kirtipur

DOI:

https://doi.org/10.3126/tuj.v32i2.24725

Abstract

इस आलेख में उपन्यासकार प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यासों में स्त्री–विमर्श पर एक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । यह एक अनुसंधानमूलक आलेख है । इसमें प्रेमचंद के उपन्यासों में स्त्री विमर्श के साथ–साथ हिंदी उपन्यास में स्त्री विमर्श के आगमन पर एक संक्षिप्त ऐतिहासिक विवरण उल्लेखित है । स्त्री विमर्श का इतिहास, अवधारणा के साथ ही सिद्धांत और आगमन पर एक विवरण भी उल्लेखित है । स्त्री विमर्श रूढ़ हो चुकी मान्यताओं के प्रति असंतोष व उससे मुक्ति का स्वर है । पितृसत्तात्मक समाज के दोहरे नैतिक मापदंड, मूल्यों व अंतर्विरोधों को समझने व पहचानने की गहरी अंतर्दृष्टि है । विश्व चिंतन में यह एक नई बहस को जनम देता है । पितृसत्तात्मक पारिवारिक संरचना पर सवाल खड़ा करता है । आखिर क्यों स्त्रियाँ अपने मुद्दों, अव्यवस्थाओं और समस्याओं के बारे में नहीं सोच
सकतीं ? क्यों उनकी चेतना को इतने लंबे समय से अनुशासित व नियंत्रित की जाती रही है ? क्यों वे किसी निर्धारित साँचे में ढली निर्जिव मूर्तियाँ मानी जाती हैं ? क्यों उन्हें परंपरा से बंधी मूक वस्तु समझा जाता है ? क्यों उनकी अपनी कोई पहचान नहीं ? जब इन सवालों का जबाब ढूँढ़ना शुरू हुआ, तब स्त्री अपना अस्तित्व और अधिकार की बात करने लगी । जो पितृसत्तात्मक के सामने एक बड़ा सबाल के रूप में उभरा । सिमोन द बोउआर के अनुसार “स्त्री पुरूष प्रधान समाज की कृति है । वह अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए स्त्री को जनम से ही अनेक नियमों के ढाँचे में ढालता चला गया । जहाँ उसका व्यक्तित्व दबता चला जाता है ।” राजनैतिक क्षेत्र के साथ–साथ साहित्य में भी स्त्रियों की स्थिति में सुधार हेतु यथेष्ठ प्रयास हुआ है आज भी स्त्रियों की अवस्था में कोई खास परिवर्तन नजर नहीं आता । हिंदी साहित्य में स्त्री–विमर्श की स्थिति काफी महत्वपूर्ण है ।

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Published

2018-12-31

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तिवारी Tiwari म. M. स. S. (2018). प्रेमचन्द के उपन्यासों में स्त्री विमर्श: एक अध्ययन Premchand ke Upanyason me stri Bibamarsh: Ek Adhyayan Chan. Tribhuvan University Journal, 32(2), 295–308. https://doi.org/10.3126/tuj.v32i2.24725

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